Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी 2025 कब है – तारीख, महत्व और पूजा विधि

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गणेश चतुर्थी 2025 कब है – तारीख, महत्व और पूजा विधि
गणेश चतुर्थी एक प्रमुख हिन्दू पर्व है, जो भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर भारत और अन्य कई राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भक्त भगवान गणेश की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद से घर-परिवार में सुख, समृद्धि और खुशहाली लाने की प्रार्थना करते हैं।
गणेश चतुर्थी 2025 कब है?
गणेश चतुर्थी 2025 में गणेश चतुर्थी का पर्व 27 अगस्त 2025 को बुधवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन गणेश पूजा का समय 11:05 AM से 01:40 PM तक रहेगा। यह दिन हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है। गणेश चतुर्थी का पर्व 10 दिनों तक मनाया जाता है, और इसका समापन अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश की मूर्ति विसर्जन के साथ होता है।
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी का पर्व न केवल भगवान गणेश की पूजा का पर्व है, बल्कि यह जीवन में समृद्धि, सुख, और आनंद के आने की शुभकामना का प्रतीक भी है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता (विघ्नों को दूर करने वाला) और सौभाग्य के दाता के रूप में पूजा जाता है। इसलिए इस दिन लोग भगवान गणेश के आगमन की खुशी में उनका पूजन करते हैं और उनसे हर प्रकार की बाधाओं से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं।
गणेश चतुर्थी का महत्व विशेष रूप से इस कारण है कि यह दिन भगवान गणेश के जन्म का दिन है। हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि, और प्रारंभ के देवता के रूप में पूजा जाता है। इस दिन विशेष रूप से कार्यों की शुरुआत, नए व्यापार की शुरुआत, और किसी नई परियोजना की शुरुआत के लिए गणेश पूजा करना शुभ माना जाता है।
गणेश चतुर्थी के अवसर पर विशेष पूजा विधि
गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा विधिपूर्वक की जाती है। इस दिन को लेकर विशेष धार्मिक अनुष्ठान और उत्सव आयोजित किए जाते हैं। गणेश पूजा की कुछ विशेष विधियाँ इस प्रकार हैं:
- घर में गणेश स्थापना: गणेश चतुर्थी के दिन सबसे पहले घर में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना की जाती है। मूर्ति को स्वच्छ और शुद्ध स्थान पर रखें और इस स्थान को सजाएं। भगवान गणेश की मूर्ति को फूल, फल, और मेवे अर्पित करें। खासतौर पर मोदक, जो भगवान गणेश का प्रिय भोग है, उनका भोग चढ़ाएं।
- स्नान और शुद्धता: पूजा से पहले स्नान करना और शरीर और मन को शुद्ध करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्नान के बाद सफेद या शुभ रंग के वस्त्र पहनकर पूजा के स्थान पर जाएं।
- मंत्रोच्चारण: गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करते समय विशेष रूप से ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करें। यह मंत्र भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत प्रभावी है।
- दीप जलाना: पूजा के दौरान दीपक जलाना शुभ होता है। दीपक से वातावरण में शांति और सुख-समृद्धि का वास होता है।
- गणेश जी के प्रिय भोग: भगवान गणेश को मोदक बहुत प्रिय है, इसलिए उन्हें मोदक का भोग अर्पित करें। इसके अलावा फल, लड्डू, और दूर्वा घास भी अर्पित किए जाते हैं।
- आरती: पूजा के बाद गणेश जी की आरती करें। आरती के दौरान ‘जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा’ जैसे भव्य मंत्रों का जाप करें।
- प्रसाद वितरण: पूजा के बाद जो प्रसाद बचता है, उसे परिवार और दोस्तों में बांटें। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है और समृद्धि का आगमन होता है।
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गणेश चतुर्थी के दौरान उत्सव और आयोजन
गणेश चतुर्थी का पर्व न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक रूप से भी बहुत खास है। इस दिन लोग एक-दूसरे के घर गणेश जी की पूजा में शामिल होते हैं और उत्सव का आनंद लेते हैं। खासतौर पर महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी का जश्न अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है, जहां सार्वजनिक गणेश पंडाल लगाए जाते हैं। यहाँ लोग गणेश जी की विशाल मूर्तियों की पूजा करते हैं और कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
सार्वजनिक गणेश पूजा पंडाल: महाराष्ट्र में सार्वजनिक गणेश पूजा पंडालों की स्थापना की परंपरा बहुत पुरानी है। यहाँ पर विभिन्न समाजों द्वारा गणेश जी की विशाल मूर्तियों की स्थापना की जाती है और एक सामूहिक पूजा का आयोजन किया जाता है। इन पंडालों में भगवान गणेश की पूजा होती है और लोग यहां आकर दर्शन कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं।
झांकियां और कलाकृतियाँ: गणेश चतुर्थी के दौरान विभिन्न जगहों पर आकर्षक झांकियाँ और कलाकृतियाँ भी लगाई जाती हैं। इन झांकियों में भगवान गणेश की मूर्तियाँ विभिन्न रूपों में दिखाई जाती हैं। कुछ स्थानों पर कलाकार भगवान गणेश के जन्म की झांकी भी सजाते हैं, जिससे लोगों को एक आध्यात्मिक अनुभव होता है।
विसर्जन की प्रक्रिया: गणेश चतुर्थी का पर्व 10 दिनों तक मनाया जाता है, और इसका समापन अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश की मूर्ति विसर्जन के साथ होता है। विसर्जन के दिन लोग बड़े धूमधाम से गणेश जी की मूर्ति को नदियों, तालाबों या अन्य जल स्रोतों में विसर्जित करते हैं। यह विसर्जन खुशी और श्रद्धा का प्रतीक है और यह विश्वास जताता है कि भगवान गणेश एक दिन वापस लौट आएंगे।
गणेश चतुर्थी से जुड़े पारंपरिक रीति-रिवाज
गणेश चतुर्थी के दौरान कुछ विशेष रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है:
- स्मरण और ध्यान: इस दिन भगवान गणेश का ध्यान करने और उनका स्मरण करने की परंपरा है। यह माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करने से जीवन में हर प्रकार की सफलता और खुशियाँ मिलती हैं।
- रंगोली सजाना: घर के दरवाजे पर रंगोली सजाना भी एक पारंपरिक रिवाज है। यह घर में सुख-शांति और समृद्धि लाने का प्रतीक है।
- समाज सेवा: गणेश चतुर्थी के दौरान समाज सेवा करने की परंपरा भी है। लोग गरीबों को भोजन और वस्त्र देने का प्रयास करते हैं। इसके अलावा, सार्वजनिक गणेश पंडालों में भी विभिन्न प्रकार की सामाजिक गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं।
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गणेश चतुर्थी के अवसर पर 2025 में क्या खास होगा?
गणेश चतुर्थी 2025 में विशेष रूप से यह देखा जाएगा कि डिजिटल और तकनीकी बदलावों के कारण इस पर्व की पूजा विधि और आयोजन में कुछ बदलाव आ सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, कई लोग अब ऑनलाइन पूजा सामग्री और गणेश मूर्तियाँ मंगवाते हैं और वीडियो कॉल के जरिए पूजा में भाग लेते हैं। इस समय में लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर गणेश चतुर्थी मनाने का आनंद ले सकते हैं, चाहे वह कहीं भी हों।
गणेश चतुर्थी और पर्यावरण का ध्यान
गणेश चतुर्थी के पर्व के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। अधिकतर लोग अब पारंपरिक मिट्टी की मूर्तियों का उपयोग करते हैं, ताकि विसर्जन के बाद पर्यावरण को कोई नुकसान न हो। साथ ही, विसर्जन के दौरान जल स्रोतों को साफ रखने के लिए विभिन्न समाजों द्वारा जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
निष्कर्ष
गणेश चतुर्थी 2025 में एक बार फिर भक्तों के दिलों में भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा और भक्ति को बढ़ाएगी। इस दिन भगवान गणेश के स्वागत के साथ-साथ हम सब अपने जीवन में सकारात्मकता, समृद्धि और खुशी के संदेश को फैलाने का संकल्प लें। गणेश चतुर्थी न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह समाज के प्रत्येक सदस्य को एकता, भाईचारे और समृद्धि की ओर प्रेरित करता है।
गणेश चतुर्थी 2025 की तारीख है: 27 अगस्त 2025 को बुधवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन गणेश पूजा का समय 11:05 AM से 01:40 PM तक रहेगा।
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि lordkart.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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