ये हैं श्री कृष्ण के वो 5 जिंदा सबूत जिन्हें वैज्ञानिकों ने भी स्वीकारा

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Source:herzindagi

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Shri Krishna Se Jude Sabut: श्री कृष्ण से जुड़े कई रहस्य  हैं जो आज भी दुनिया से छिपे हुए हैं। वहीं, उनसे जुड़े कुछ सबूत हैं जो आज  भी धरती के कुछ स्थानों पर मौजूद हैं और इस बात को दर्शाते हैं कि श्री  कृष्ण की जिन लीलाओं का उल्लेख शास्त्रों में मिलता है, धर्म ग्रंथों में  मिलता है वह पूर्णतः सत्य है। ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स ने हमें उन्हें साक्ष्यों के बारे में कुछ दिलचस्प बातें बताईं जो आज हम आपके साथ साझा करने जा रहे हैं।

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श्री कृष्ण के होने के कई पुरातात्विक प्रणाम मिलते हैं जिनके अनुसार, 97  साल पहले गताश्रम टीला में एक शिला मिली थी। इस शिला को श्री कृष्ण के जन्म  का पुरातत्व में पहला प्रमाण माना जाता है। यह शिला 1917 में मथुरा के  विश्राम घाट में हुई एक खुदाई के दौरान मिली थी।

श्री कृष्ण के जन्म का सबूत

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इस शिला पट में कैसे श्री कृष्ण (श्री कृष्ण और सूरत की कथा) के पिता वासुदेव जी उन्हें यमुना की तीव्र धारा के बीच में से मथुरा से  गोकुल ले जा रहे हैं, यह चित्रित हुआ है। शिला पट से जुड़ी खास बात यह है कि  खुदाई में मिली यह शिला पट 2000 वर्ष से भी पुरानी मानी जाती है।

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मथुरा के विश्राम घाट में एक और शिलापट मिला था जो कृष्ण द्वारा रची गई  गोवर्धन लीला के सबूत के तौर पर देखा जाता है। श्री कृष्ण ने गोकुल की  रक्षा और इंद्र का घमंड दूर करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपने हाथ की सबसे  छोटी उंगली पर उठाया था। इस दूसरे शिला पट में उसी घटना का चित्रण किया  गया है। यह शिला पट भी 2000 वर्ष से भी अधिक पुराना बताया जाता है।

श्री कृष्ण द्वारा गोवर्धन लीला का सबूत

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श्री राधा कृष्ण के प्रेम दर्शाते वाले कई मंदिर ऐसे मिल जाएंगे जो इस  बात को प्रमाणित करते हैं कि श्री कृष्ण भी हैं, श्री राधा रानी भी हैं और  श्री राधा कृष्ण के प्रेम की लीलाएं भी सर्वतः सत्य हैं। इन्हीं मे से एक  है निधिवन।

श्री राधा कृष्ण की लीलाओं का सबूत

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जो लोग निधिवन के महत्व को नहीं जानते वह इसे भूतीया स्थान बताते हैं।  वहीं, जिन्हें इस स्थान की महिमा पता है उन्हें इस बात का आभास है कि यहां  आज भी कृष्ण और राधा रास रचाने आते हैं। अब इस स्थान की महिमा वैज्ञानिकों  द्वारा भी मानी जाने लगी है।

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श्री कृष्ण का गीता उपदेश सत्य है इस बात का प्रमाण खुद भगवत गीता है जो घर-घर में लोगों द्वारा न सिर्फ पढ़ी जाती है बल्कि वैज्ञानिकों के  कई शोध का आधार भी गीता ही होती है। मात्र भारत में ही नहीं बल्कि अब कई  देशों में गीता का पाठ पढ़ाया जाता है और इस महान ग्रंथ में छिपे वैज्ञानिक  आधारों पर सहोद किया जाता है।

श्री कृष्ण के अर्जुन को गीता उपदेश देने का सबूत

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श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था सुर उसेक बाद  कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध लड़ा गया था। महाभारत की 150 खगोलीय  घटनाओं के आधार पर वैज्ञानिक भी मानते हैं कि कुरुक्षेत्र का युद्ध हुआ था  और वह ब्रह्मांड का सबसे भीषण और प्रलयकारी युद्ध था।

श्री कृष्ण और महाभारत युद्ध का सबूत

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ब्रिटेन के एक वैज्ञानिक ने इस कई शोध करने के बात इस बात को माना था कि  कुरुक्षेत्र की जो भूमि आज भी लाल नजर आती है वह महाभारत काल के समय से ही  है और महाभारत का युद्ध 22 नवंबर, 3067ई।पू। लड़ा गया था।

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श्री कृष्ण ने मथुरा छोड़ने के बाद अपना गुजरात से 1000 किलोमीटर की दूरी  पर स्थित समुद्र के किनारे द्वारिका नगरी का निर्माण किया था। इसी कारण से  श्री कृष्ण द्वारिकाधीश कहलाए। अक्सर द्वारिका के होने पर सवाल खड़े होते  रहे हैं लेकिन भारतीय नौ सेना और पुरातत्व विभाग ने अपनी समुद्र के अंदर  गहरी खोज के दौरान इस बात के कई साक्ष्य दुनिया के सामने रखे की श्री कृष्ण  की नगरी द्वारिका आज भी समुद्र के भीतर मौजूद है।

श्री कृष्ण की द्वारिका का सबूत

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तो ये थे वो सबूत जो आज भी श्री कृष्ण और उनके द्वारा की गई लीलाओं का जीवित साक्ष्य हैं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें । राधे राधे🙏🙏