भारतीय संस्कृति में धार्मिक अनुष्ठान और पूजा का महत्व अपार है। घर के मंदिर या पूजा स्थान का विचार करते समय इस विषय पर ध्यान देने की प्राचीन परंपरा रही है कि भगवान के मंदिर का मुख विशेष दिशा में होना चाहिए। इसे “ईशान कोण” भी कहा जाता है, और इसे वैदिक ग्रंथों और वास्तुशास्त्र में महत्वपूर्ण माना जाता है।
आम तौर पर, घर के मंदिर का मुख उत्तर दिशा में होना चाहिए। यहां कुछ कारण हैं जो इस दिशा को विशेष मान्यता देते हैं:
This week’s popular products
- सूर्य की दिशा: भारतीय संस्कृति में, सूर्य को सर्वोच्च देवता माना जाता है। सूर्य उत्तर दिशा से उगता है, और उसके ऊपर भगवान का मंदिर होने से उसके सामने आने वाली किरणों का स्वागत होता है। इसलिए, मंदिर को उत्तर दिशा में स्थापित करना सूर्य की दिशा के साथ मिलता जुलता है।
- मानसिक तत्व: उत्तर दिशा को धार्मिक एवं मानसिक दृष्टिकोन से पवित्र दिशा माना जाता है। इसमें शुभता और शांति की भावना होती है। भगवान के मंदिर को उत्तर दिशा में स्थापित करने से घर में शांति और समृद्धि की भावना बढ़ती है।
- वास्तुशास्त्र: भारतीय वास्तुशास्त्र में भगवान के मंदिर को उत्तर दिशा में स्थापित करने को शुभ माना जाता है। वास्तु के अनुसार, उत्तर दिशा में मंदिर स्थापित करने से घर के सभी सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती है और इससे परिवार के सभी सदस्यों को धार्मिक तथा आध्यात्मिक विकास का लाभ मिलता है।
Shop new arrivals
-
Product on sale
Beautiful Yellow and Red Velvet Bed for Laddu Gopal Ji for Janmashtmi
₹399.00 – ₹699.00 -
Product on sale
Laddu Gopal Ji Red and Yellow Velvet Bed for Good and Comfortable Sleep
₹399.00 – ₹699.00 -
Product on sale
Laddu Bal Gopal Sinhasan for Pooja Mandir Krishna Decorative Showpiece
₹199.00 – ₹349.00 -
Product on sale
Heavy Red Pagdi for Laddu Gopal Flower Work Turban for Gopal Ji
₹59.00 – ₹129.00 -
Product on sale
Heavy Pink Pagdi for Laddu Gopal Flower Work Turban for Gopal Ji
₹59.00 – ₹129.00
कुल मिलाकर, घर के मंदिर का मुख उत्तर दिशा में होने से घर के अंदर एक पवित्र और शुभ स्थान बनता है, जहां धार्मिक अनुष्ठान करने और भगवान की पूजा करने से घर में पॉजिटिव ऊर्जा एवं शांति का अनुभव होता है।