श्री सियाराम बाबा ने 12 साल का मौन व्रत धारण किया था। कोई नहीं जानता था बाबा कहां से आए हैं। बाबा ने मौन व्रत तोड़ा और पहला शब्द सियाराम बोले तब से गांव वाले उनको सियाराम बाबा कहते हैं। मुकुंद केवट, राजेश छलोत्रा, पूनमचंद बिरले, हरीश बिरले के अनुसार बुजुर्ग बताते है बाबा 50-60 साल पहले यहां आए थे।
ये मध्य प्रदेश के खरगोन ज़िले के नर्मदा तट पर स्थित भट्याण आश्रम के संत श्री हैं. बाबा की उम्र 109 वर्ष बताई जाती है.
भारत भूमि साधु-संतों की तपस्थली के रूप में जानी जाती है। आम जनता के लिए ये तप स्थल ही तीर्थ बन जाते हैं। ऐसे ही एक संत हैं भटयाण के सियाराम बाबा। सियाराम बाबा के बारे में कहा जाता है कि उनकी उम्र 100 साल से भी अधिक है और वे रोजाना 21 घंटे रामायण का पाठ करते हैं। बिना चश्मे के वे रामायण की चौपाइयों को पढ़ते हैं।
संत बाबा के तन पर कपड़े के नाम पर केवल एक लंगोट होती है। कड़ाके की ठंड हो, बरसात हो या फिर भीषण गर्मी, बाबा लंगोट के अतिरिक्त कुछ धारण नहीं करते। ग्रामीण बताते हैं कि आज तक उन्होंने बाबा को कभी पूर्ण वस्त्रों में नहीं देखा है। श्रद्धालु बताते हैं कि बाबा 10 सालों तक खड़े होकर तप किया था।
बाबा के बारे में किसी को अधिक जानकारी नहीं है। ग्रामीणों के मुताबिक बाबा हनुमानजी के भक्त हैं। नर्मदा किनारे ही हनुमानजी का एक छोटा-सा मंदिर है, लेकिन किसी विवाद के चलते मंदिर को दीवार से पूरा ढंक दिया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि मंदिर पर दीवार होने के बाद कान लगाने पर भी घंटी की आवाज आती है। ग्रामीण बताते हैं कि बाबा वर्षों पूर्व महाराष्ट्र से नर्मदा किनारे आए थे।
आश्रम में आने वाले श्रद्धालुओं से बाबा सिर्फ 10 रुपए का दान लेते हैं। अगर कोई ज्यादा रुपए चढ़ाता है तो सेवादार 10 रुपए लेकर बाकी रुपए लौटा देते हैं।
महान संत श्री सियाराम बाबा के चमत्कार
इतिहास गवाह है कि भारतीय संतों ने योग और ध्यान के बल पर पूरे विश्व को चौंकाने का काम किया है. साथ ही कठीन साधना के जरिये इंद्रियों पर संयम रखने और शरीर को हर मौसम के अनुकूल बनाकर भी सब को हैरान किया है.
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यही वजह है कि योग और अध्यात्म के मामले में भारत का स्थान शीर्ष पर है. वहीं, योग की बारीकियों को जानने व सीखने के लिए विश्व के कोने-कोने से लोगों का भारत आगमन होता रहता है. इसी क्रम में हम आपको मध्य प्रदेश के एक ऐसे संत के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी एक झलक पाने के लिए न सिर्फ़ देश बल्कि विदेशों से भी भक्तों का आगमन होता है. हम बात करने जा रहे हैं सियाराम बाबा की.
आइये, सियाराम बाबा के बारे में कुछ दिलचस्प और हैरान कर देने वाली बातें जानते हैं. हम जिन संत के बारे में आपको बता रहे हैं, वो सियाराम बाबा (Saint Siyaram Baba) के नाम से जाने जाते हैं. ये मध्य प्रदेश के खरगोन ज़िले के नर्मदा तट पर स्थित भट्याण आश्रम के संत श्री हैं.
बाबा की उम्र 109 वर्ष बताई जाती है. हालांकि, कोई इनकी उम्र 80 बताता है, तो कोई 130. वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो इनकी उम्र 109 के आसपास हो सकती है. बाबा भगवान हनुमान के परम भक्त हैं और आपको निरंतर राम चरित्रमानस का पाठ करते मिल जाएंगे.
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ऐसा माना जाता है कि सियाराम बाबा का जन्म महारष्ट्र के मुंबई में हुआ था और उन्होंने 7-8वीं क्लास तक पढ़ाई भी की है. वहीं, किसी संत के संपर्क में आने के बाद उनके अंदर वैराग्य धारण करने का विचार आया और उन्होंने घर त्याग दिया और तप करने हिमालय चले गए. हालांकि, उनके बाद का जीवन काफ़ी रहस्यमयी है और इस बारे में शायद ही किसी के पास जानकारी हो.
सियाराम बाबा (Saint Siyaram Baba) की एक ख़ास बात ये है कि वो दान में सिर्फ़ 10 रुपए ही लेते हैं. अगर कोई 10 रुपए से ज्यादा उन्हें दान दे, तो वो बाकी पैसे उन्हें लौटा देते हैं. कहते हैं कि एक बार अर्जेंटीना व ऑस्ट्रिया के कुछ लोग बाबा के दर्शन करने के लिए उनके आश्रम गए और उन्होंने 500 रुपए बाबा को दान में दिये, लेकिन बाबा ने 10 रुपए लेकर बाकी पैसे उन्हें लौटा दिये.
इसके अलावा, सियाराम बाबा समाज कल्याण में भी अपनी भागीदारी देते हैं, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो बाबा ने नर्मदा घाट की मरम्मत और बारिश से बचने के लिए शेड बनवाने के लिए 2 करोड़ 57 लाख रुपए दान में दिए थे. ये पैसा उन्हें आश्रम की डूब के मुआवज़े के रूप में दिया गया था.
Content Source: IG /gyaani.gabbar