Festival

भाई दूज 2026: तारीख, मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Getting your Trinity Audio player ready...

भाई दूज 2026 का पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। यह त्यौहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, जो दीपावली के ठीक दो दिन बाद आता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र, सुख और समृद्धि की कामना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों को उपहार देकर उनकी रक्षा का वचन देते हैं। भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर भोजन करने गए थे। यह पर्व न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि परिवार में प्रेम और एकता को भी बढ़ावा देता है। lordkart आपको भाई दूज 2026 की सटीक तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, और इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं की पूरी जानकारी देता है।

आइए, इस खास पर्व को धूमधाम से मनाएं और अपने भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत करें। lordkart की शुभकामनाओं के साथ भाई दूज का उत्सव बनाएं यादगार!

भाई दूज 2026: तारीख, मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

भाई दूज, जिसे यम द्वितीया या भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है, भाई-बहन के पवित्र और अटूट रिश्ते का उत्सव है। यह पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, जो दीपावली के दो दिन बाद पड़ता है। वर्ष 2026 में भाई दूज 11 नवंबर, बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु, सुख, और समृद्धि की कामना करती हैं। बदले में, भाई अपनी बहनों को उपहार भेंट करते हैं और उनकी रक्षा का वचन देते हैं। इस पर्व का महत्व केवल भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं है, बल्कि यह परिवार में प्रेम और एकता को भी बढ़ावा देता है।

आइए, भाई दूज 2026 की तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, और इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं के बारे में विस्तार से जानें।

भाई दूज 2026 की तारीख और शुभ मुहूर्त

तारीख: 11 नवंबर 2026 (बुधवार)
तिलक का शुभ मुहूर्त: 13:09 से 15:19 तक
अवधि: 2 घंटे 9 मिनट

शास्त्रों के अनुसार, भाई दूज का तिलक अपराह्न (दिन का चौथा भाग) में करना सबसे शुभ माना जाता है। यदि द्वितीया तिथि दोपहर के समय दोनों दिन उपलब्ध हो, तो अगले दिन भाई दूज मनाया जाता है। इसके अलावा, यदि अपराह्न में द्वितीया तिथि न हो, तो भी अगले दिन यह पर्व मनाने की परंपरा है।

भाई दूज की पूजा विधि

भाई दूज का पर्व रीति-रिवाजों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। नीचे इसकी पूजा विधि दी गई है:

  1. तैयारी: बहनें तिलक और आरती के लिए थाल सजाती हैं। इसमें कुमकुम, चंदन, फूल, मिठाई, सुपारी, और फल आदि शामिल होते हैं।
  2. चौक बनाना: चावल के मिश्रण से एक चौक बनाएं और उस पर भाई को बिठाएं।
  3. तिलक और आरती: शुभ मुहूर्त में बहन भाई के माथे पर तिलक लगाए, फूल, पान, सुपारी, और मिठाई अर्पित करे, और उनकी आरती उतारे।
  4. उपहार: तिलक के बाद भाई अपनी बहन को उपहार दे और उनकी रक्षा का वचन दे।
  5. यम पूजन: इस दिन यमराज का पूजन भी किया जाता है, जो दोपहर के बाद करना शुभ माना जाता है।

भाई दूज का महत्व

भाई दूज का पर्व भाई-बहन के बीच प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। यह त्यौहार परिवार में एकता और सौहार्द को बढ़ावा देता है। मान्यता है कि इस दिन यमुना नदी में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, जो बहन अपने भाई का तिलक करती है, उसे यमराज का भय नहीं सताता। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है।

भाई दूज से जुड़ी पौराणिक कथाएं

  1. यम और यमुना की कथा:
    पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यमराज अपनी बहन यमुना के बुलावे पर उनके घर गए थे। यमुना ने उनका तिलक किया और भोजन कराया। प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना से वरदान मांगने को कहा। यमुना ने उनसे हर साल उनके घर आने और तिलक करने वाली बहनों को यम के भय से मुक्ति देने का वर मांगा। तब से भाई दूज की परंपरा शुरू हुई।
  2. श्री कृष्ण और सुभद्रा की कथा:
    एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध कर द्वारिका लौटने पर अपनी बहन सुभद्रा ने उनका स्वागत किया। सुभद्रा ने फूल, मिठाई, और दीप जलाकर श्री कृष्ण का तिलक किया। इस घटना से भी भाई दूज की परंपरा को बल मिला।

विभिन्न क्षेत्रों में भाई दूज

भारत की सांस्कृतिक विविधता के कारण भाई दूज को अलग-अलग क्षेत्रों में विभिन्न नामों और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है:

  • पश्चिम बंगाल: भाई फोटा के नाम से जाना जाता है। बहनें व्रत रखती हैं और तिलक के बाद भोजन करती हैं।
  • महाराष्ट्र: भाऊ बीज के रूप में मनाया जाता है, जहां बहनें भाई का तिलक करती हैं।
  • उत्तर प्रदेश: आब और सूखा नारियल देने की परंपरा है।
  • बिहार: बहनें भाइयों को डांटकर माफी मांगती हैं और फिर तिलक करती हैं।
  • नेपाल: भाई तिहार के नाम से प्रसिद्ध, जहां सात रंगों का तिलक लगाया जाता है।

भाई दूज 2026 के लिए सुझाव

  • इस दिन भाई-बहन एक-दूसरे के साथ समय बिताएं और अपने रिश्ते को मजबूत करें।
  • यमुना नदी में स्नान करें, यदि संभव हो, क्योंकि यह पुण्यकारी माना जाता है।
  • उपहार के रूप में कुछ खास और उपयोगी वस्तुएं चुनें, जैसे किताबें, गहने, या व्यक्तिगत वस्तुएं।
  • परिवार के साथ मिलकर इस पर्व को उत्साह के साथ मनाएं।

Frequently Asked Questions (FAQs)

  1. भाई दूज 2026 कब मनाया जाएगा?
    भाई दूज 11 नवंबर 2026, बुधवार को मनाया जाएगा।
  2. भाई दूज का तिलक मुहूर्त क्या है?
    तिलक का शुभ मुहूर्त 13:09 से 15:19 तक है।
  3. भाई दूज क्यों मनाया जाता है?
    यह पर्व भाई-बहन के प्रेम और रक्षा के वचन को दर्शाता है।
  4. भाई दूज का दूसरा नाम क्या है?
    इसे यम द्वितीया या भ्रातृ द्वितीया भी कहते हैं।
  5. भाई दूज की पूजा विधि क्या है?
    बहनें भाई का तिलक करती हैं, आरती उतारती हैं, और उपहारों का आदान-प्रदान होता है।
  6. क्या भाई दूज पर यम पूजन जरूरी है?
    यम पूजन दोपहर के बाद करना शुभ माना जाता है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है।
  7. भाई दूज की पौराणिक कथा क्या है?
    यम और यमुना की कथा और श्री कृष्ण-सुभद्रा की कथा इस पर्व से जुड़ी हैं।
  8. क्या भाई दूज पर व्रत रखना चाहिए?
    कुछ क्षेत्रों में बहनें व्रत रखती हैं, जैसे पश्चिम बंगाल में।
  9. भाई दूज पर क्या उपहार देना चाहिए?
    मिठाई, गहने, कपड़े, या व्यक्तिगत उपयोग की वस्तुएं उपहार के रूप में दी जा सकती हैं।
  10. क्या यमुना नदी में स्नान जरूरी है?
    यह पुण्यकारी माना जाता है, लेकिन अनिवार्य नहीं है।
  11. भाई दूज का तिलक कब करना चाहिए?
    अपराह्न के समय तिलक करना शुभ माना जाता है।
  12. क्या भाई दूज केवल हिंदुओं का पर्व है?
    यह मुख्य रूप से हिंदू पर्व है, लेकिन कोई भी इसे भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक के रूप में मना सकता है।
  13. नेपाल में भाई दूज कैसे मनाया जाता है?
    नेपाल में इसे भाई तिहार कहते हैं, जहां सात रंगों का तिलक लगाया जाता है।
  14. भाई दूज पर क्या खाना चाहिए?
    बहनें अपने भाइयों को उनके पसंदीदा व्यंजन खिलाती हैं।
  15. क्या भाई दूज का पर्व हर साल एक ही तारीख को आता है?
    नहीं, यह हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है, जिसकी तारीख बदलती रहती है।

Disclaimer:

The information provided here is based on traditional beliefs, Vedic astrology, and general practices associated with Bhai Dooj. lordkart does not guarantee the accuracy of astrological predictions or rituals. Readers are advised to consult a qualified astrologer or priest for personalized guidance. lordkart is not responsible for any decisions made based on this information.

शुभकामनाएं

lordkart की ओर से आप सभी को भाई दूज 2026 की हार्दिक शुभकामनाएं! इस पर्व को अपने भाई-बहन के साथ उत्साह और प्रेम के साथ मनाएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *