Bholenath, Kahani, Pauranik Kahaniya

Sawan Somwar Vrat Katha – सावन सोमवार व्रत कथा

आज हम आपके लिए सावन माह की भोलेनाथ और माता पार्वती की एक बहुत सुंदर कहानी लेकर आए हैं।

एक समय की बात है सावन का महीना था। भगवान शिव और माता पार्वती कैलाश पर्वत पर बैठे थे। माता पार्वती ने धरती पर देखा कि कोई शिवलिंग पर दूध चढ़ा रहा था तो कोई शिवलिंग पर जल चढ़ा रहा था तो कोई दूर-दूर से गंगाजल लाकर शिवलिंग पर चढ़ा रहा था। तब माता पार्वती ने भोलेनाथ से पूछा प्रभु पृथ्वी पर सभी मनुष्य आप पर इतना दूध और जल आदि अर्पित कर रहे हैं। इसका इन्हें क्या फल प्राप्त होगा? तब भोलेनाथ बोले पार्वती सावन माह में मुझे जल अर्पित करने का इतना महत्व है कि जो मुझे जल अर्पित करेगा वह स्वर्ग को प्राप्त करेगा।

यह सुन माता पार्वती से रहा नहीं गया। उन्होंने फिर पूछा प्रभु तो क्या यह लाखों करोड़ों लोग जो जल अर्पित कर रहे हैं यह सब स्वर्ग को प्राप्त करेंगे। तो प्रभु बोले पार्वती तन से स्नान कराने से ज्यादा महत्व मन से स्नान कराने का है। तब माता पार्वती बोली प्रभु यह कैसे पता चलेगा कि कौन मन से स्नान करा रहा है? तब भोलेनाथ बोले यह तो भक्त के मन से पता चल जाता है। तब भगवान शिव बोले चलो पार्वती इसके लिए हम आपको धरती पर ले चलते हैं। वहीं आपकी जिज्ञासा शांत हो पाएगी।

तब भगवान शिव ने अपने आप को एक कुरूप सा कुष्ठ रोगी बना लिया और माता पार्वती को एक सुंदर स्त्री का रूप दिया और दोनों एक शिव मंदिर के बाहर जाकर बैठ गए। वहां पहुंचकर जो भी भक्त वहां से जाता माता पार्वती उससे कहती मैं बहुत गरीब हूं। मेरे पति कोढ़ी हैं। मैं इन्हें कंधे पर उठाकर यहां तक लाई हूं। सुना है भोलेनाथ के इस मंदिर की बहुत मान्यता है।

यदि इस मंदिर में मैं अपने पति के द्वारा एक लोटा गंगाजल अर्पित करवा दूं तो यह ठीक हो जाएंगे। लेकिन मैं बहुत थक गई हूं। दो दिन से हमने कुछ नहीं खाया है। हमारी कुछ मदद कर दो। अब जो भी व्यक्ति उधर से गुजरता कोढ़ी को देखकर घिन करता और दूर चला जाता या सुंदर स्त्री को देखकर उसे कहता तुम इतनी सुंदर हो इस कोढ़ी को छोड़ दो और हमारे साथ चलो।

ऐसे ही देखतेदे शाम होने को आ गई कि वहां एक गरीब मजदूर आया और माता पार्वती से बोला माता क्या बात है आप दुखी क्यों हो? माता पार्वती ने सारी बात उस लड़के को कह दी। तब वह बोला माता मेरी मां ने मुझे चार रोटी दी थी। पहले आप यह खा लो। कलयुग में आप ऐसी स्त्री हो जो अपने पति की ऐसी सेवा कर रही है। मैं आपको प्रणाम करता हूं और मैं आपके पति को अपने कंधे पर ले जाकर भोलेनाथ के दर्शन कराता हूं और जल अर्पित करवाता हूं।

उस लड़के ने कुष्ठ रोगी के रूप में आए भोलेनाथ को अपने कंधे पर उठा लिया और मंदिर में ले जाकर दर्शन करवाया। तब भोलेनाथ बोले पार्वती जी यह देखिए इन लाखों करोड़ों लोगों में से इस व्यक्ति ने मन से स्नान कराया है। यह स्वर्ग को प्राप्त करेगा।

जय भोलेनाथ, जय महादेव

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *