नवरात्रि का पर्व शक्ति की उपासना का महापर्व है। हर दिन माँ दुर्गा के एक विशेष स्वरूप की पूजा की जाती है। नवरात्रि का तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा को समर्पित है। माँ चंद्रघंटा का नाम उनके मस्तक पर स्थित अर्धचंद्राकार घंटा के कारण पड़ा। उनका यह स्वरूप शांति, साहस और वीरता का प्रतीक माना जाता है।
माँ चंद्रघंटा सिंह पर सवार रहती हैं। उनके दस हाथों में शस्त्र, त्रिशूल, गदा, कमल और कमंडल जैसे दिव्य आयुध सुशोभित रहते हैं। वे दुष्टों का नाश कर धर्म और भक्तों की रक्षा करती हैं। माँ चंद्रघंटा की उपासना से साधक को आध्यात्मिक शांति, साहस और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।
पौराणिक कथाओं में वर्णन है कि जब असुरों ने देवताओं को परेशान किया तो माँ दुर्गा ने अपने इस उग्र रूप में प्रकट होकर उनका संहार किया। इस कारण माँ चंद्रघंटा को युद्ध और शौर्य की देवी भी माना जाता है।
इस लेख में हम माँ चंद्रघंटा की कथा, स्वरूप, पूजा विधि, मंत्र, महत्व, लाभ और भक्तों की मान्यताओं का विस्तार से अध्ययन करेंगे।
1. माँ चंद्रघंटा का परिचय
माँ चंद्रघंटा शक्ति के तीसरे स्वरूप के रूप में पूजी जाती हैं। इनके मस्तक पर अर्धचंद्र के आकार की घंटी है, जिससे इनका नाम "चंद्रघंटा" पड़ा। इनका स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी है।
2. जन्म कथा और महत्व
कथाओं के अनुसार, जब महिषासुर ने तीनों लोकों पर अधिकार करना चाहा, तब देवताओं ने माँ दुर्गा का आह्वान किया। माँ ने चंद्रघंटा रूप धारण करके असुरों का संहार किया। उनके एक गर्जन मात्र से दानव भयभीत हो गए। यह स्वरूप धर्म की रक्षा और अधर्म के विनाश का प्रतीक है।
3. माँ चंद्रघंटा का स्वरूप
-
माँ के दस हाथ हैं जिनमें त्रिशूल, गदा, तलवार, कमंडल, कमल और शंख जैसे आयुध हैं।
-
उनका वाहन सिंह है, जो साहस और निर्भयता का प्रतीक है।
-
मस्तक पर अर्धचंद्राकार घंटा सुशोभित है।
-
उनका रूप भक्तों को निर्भय बनाता है और भय दूर करता है।
4. माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि
-
नवरात्रि के तीसरे दिन प्रातः स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
-
पूजा स्थल को साफ करके माँ चंद्रघंटा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
-
कलश स्थापना करें और उस पर नारियल रखें।
-
धूप, दीप, पुष्प और अक्षत अर्पित करें।
-
माँ चंद्रघंटा के मंत्रों का जप करें।
-
आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
5. माँ चंद्रघंटा के मंत्र
-
बीज मंत्र: "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ चंद्रघंटायै नमः"
-
ध्यान मंत्र:
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघंटेति विश्रुता॥
6. पूजा का महत्व
माँ चंद्रघंटा की उपासना से साधक को साहस, निर्भयता और आत्मविश्वास मिलता है। इनके पूजन से मानसिक शांति और जीवन में संतुलन प्राप्त होता है। भक्त मानते हैं कि माँ की कृपा से सभी संकट दूर होते हैं।
7. पूजन से मिलने वाले लाभ
-
भय और शत्रुओं से रक्षा होती है।
-
साहस और पराक्रम की वृद्धि होती है।
-
जीवन में आत्मविश्वास और शक्ति का संचार होता है।
-
मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है।
-
भक्त के जीवन से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
8. भक्तों की मान्यताएँ
भक्तों का विश्वास है कि माँ चंद्रघंटा की आराधना से जीवन की सभी बाधाएँ दूर हो जाती हैं। वे साधक को कठिन परिस्थितियों में भी साहस देती हैं। कई श्रद्धालु मानते हैं कि माँ चंद्रघंटा की कृपा से युद्ध और संकट में विजय प्राप्त होती है।
माँ चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन विशेष फलदायी मानी जाती है। यह पूजा साधक को निर्भय बनाती है और आत्मविश्वास से परिपूर्ण करती है। माँ चंद्रघंटा की कृपा से जीवन में सफलता और शांति का मार्ग प्रशस्त होता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
-
माँ चंद्रघंटा की पूजा कब की जाती है?
➡ नवरात्रि के तीसरे दिन। -
माँ चंद्रघंटा का वाहन क्या है?
➡ सिंह। -
माँ चंद्रघंटा के मस्तक पर क्या सुशोभित है?
➡ अर्धचंद्राकार घंटा। -
माँ चंद्रघंटा के हाथों में कौन-कौन से शस्त्र हैं?
➡ त्रिशूल, गदा, तलवार, कमंडल, शंख और कमल। -
माँ चंद्रघंटा का स्वरूप क्या दर्शाता है?
➡ साहस, निर्भयता और शांति। -
माँ चंद्रघंटा की पूजा से क्या लाभ होता है?
➡ भय दूर होता है और आत्मविश्वास मिलता है। -
माँ चंद्रघंटा का बीज मंत्र क्या है?
➡ "ॐ चंद्रघंटायै नमः"। -
माँ चंद्रघंटा की उपासना किस चक्र को जागृत करती है?
➡ मणिपुर चक्र। -
माँ चंद्रघंटा को किस रूप में पूजा जाता है?
➡ उग्र और शांति दोनों रूपों में। -
माँ चंद्रघंटा की पूजा में कौन-सा रंग शुभ है?
➡ सुनहरा या पीला। -
माँ चंद्रघंटा किस असुर का वध करती हैं?
➡ महिषासुर और अन्य दानवों का। -
माँ चंद्रघंटा की कृपा से कौन-सा भय समाप्त होता है?
➡ युद्ध और शत्रु भय। -
माँ चंद्रघंटा की पूजा का विशेष फल क्या है?
➡ मानसिक शांति और साहस। -
माँ चंद्रघंटा की पूजा किसे करनी चाहिए?
➡ जिन्हें भय, निराशा और आत्मविश्वास की कमी है। -
माँ चंद्रघंटा का अंतिम संदेश क्या है?
➡ भयमुक्त होकर धर्म और सत्य के मार्ग पर चलना।
🖊️ Credit & Content Source
यह लेख धार्मिक ग्रंथों, पुराणों और सामान्य मान्यताओं के आधार पर संकलित किया गया है।
⚠️ Disclaimer
यह सामग्री केवल धार्मिक और सांस्कृतिक जानकारी के उद्देश्य से प्रस्तुत की गई है। इसका उद्देश्य किसी भी प्रकार की अंधविश्वास या अनुचित धारणा को बढ़ावा देना नहीं है। पाठक अपने विवेक और श्रद्धा अनुसार इसका पालन करें।
Leave a comment