लोहड़ी 2027
14 जनवरी 2027, गुरुवार
सर्दी को अलविदा, गर्मजोशी को नमस्ते
लोहड़ी उत्तर भारत का एक ऐसा पर्व है जो सर्दी की कड़ाके की ठंड को अलविदा कहते हुए गर्मजोशी से गले लगाता है। यह पर्व मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में मनाया जाता है, लेकिन अब यह दिल्ली, उत्तर प्रदेश और अन्य क्षेत्रों तक फैल चुका है। लोहड़ी मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर आता है, जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है। शाम के समय जलाए जाने वाले अलाव की लपटें न केवल ठंडक मिटाती हैं, बल्कि जीवन की चुनौतियों को जलाकर राख करने का संदेश भी देती हैं।
⏰ शुभ मुहूर्त 2027
तिथि विशेष
हिंदू पंचांग के अनुसार, लोहड़ी पौष अमावस्या या मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाई जाती है। 2027 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को होगी, इसलिए लोहड़ी 14 जनवरी को आएगी। यह तिथि गुरुवार होने से विशेष शुभ फलदायी है - बृहस्पति का प्रभाव समृद्धि बढ़ाता है।
उत्पत्ति और नामकरण
लोहड़ी का नाम 'लोह' (लकड़ी) और 'आढ़ी' (सूखे उपले) से मिलकर बना है, जो अलाव जलाने की परंपरा को दर्शाता है। यह फसल कटाई का उत्सव है, जहां रबी की फसलें जैसे गेहूं, सरसों का आभार प्रकट किया जाता है।
दुल्ला भट्टी की कथा
पंजाबी लोक संस्कृति का प्रतीक, लोहड़ी दुल्ला भट्टी की कहानी से जुड़ा है। 16वीं शताब्दी के वीर डाकू दुल्ला भट्टी ने मुगलों के अत्याचार से लड़ते हुए गरीब लड़कियों की रक्षा की। 'सुंदर मुंडेरीये' गीत उनकी वीरता गाता है।
🙏 पूजा विधि
सुबह की वैदिक आराधना
- स्नान और शुद्धिकरण: प्रातःकाल उठकर शीतल जल से स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें, अधिमानतः पीले या लाल रंग के।
- घर की सफाई: मंदिर या पूजा स्थल को लीप-पोतकर सजाएं। रंगोली बनाएं, जो सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित करती है।
- देवताओं की स्थापना: पश्चिम दिशा में भगवान कृष्ण, मां दुर्गा और अग्नि देव की प्रतिमा स्थापित करें। सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- आरती और मंत्र: 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें। फल, फूल, दूध-दही का भोग लगाएं।
शाम की अग्नि पूजा
- अलाव प्रज्वलन: घर के आंगन या खुले मैदान में लकड़ियां, सूखे उपले और गोबर के कंडे इकट्ठा करें। शाम 6 बजे के बाद अग्नि जलाइए।
- समर्पण सामग्री: अलाव में तिल, गुड़, मूंगफली, रेवड़ी, गजक, मक्का और भुट्टा डालें। प्रत्येक भेंट के साथ प्रार्थना करें।
- परिक्रमा और भजन: परिवारजन अग्नि की तीन परिक्रमा करें। 'सुंदर मुंडेरीये' या 'दुल्ला भट्टी वाला' लोक गीत गाएं।
- प्रसाद वितरण: अग्नि शांत होने पर राख को तिलक रूप में लगाएं। प्रसाद सभी को बांटें। नवविवाहिताओं को विशेष उपहार दें।
महत्व और संदेश
🕉️ धार्मिक महत्व
अग्नि पुराण से जुड़ा यह पर्व अग्नि को पाप नाशक मानता है। सूर्य का मकर प्रवेश वर्ष के सबसे लंबे दिन की शुरुआत करता है, जो उज्ज्वल भविष्य का संकेत है।
🎭 सांस्कृतिक महत्व
यह पर्व लैंगिक समानता और न्याय का संदेश देता है। दुल्ला भट्टी की वीरगाथा सामाजिक एकता और नारी सम्मान का प्रतीक है।
🌾 कृषि महत्व
फसल कटाई के बाद किसान परिवार एकत्र होते हैं। रबी की फसलों का आभार प्रकट कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है।
🧘 आध्यात्मिक महत्व
अलाव की लपटें अज्ञान को जलाती हैं, ज्ञान की ज्योति जलाती हैं। यह सूर्य नमस्कार और आत्म-शुद्धि का अवसर है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
यह सामग्री सूचनात्मक उद्देश्य से तैयार की गई है। धार्मिक पूजा के लिए स्थानीय पंडित या ज्योतिषी से परामर्श लें। तिथि-मुहूर्त में क्षेत्रीय भिन्नताएं संभव हैं। LordKart या लेखक किसी प्रकार की जिम्मेदारी नहीं लेते। पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखें।
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