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बिजेथुआ धाम: सुल्तानपुर का प्रसिद्ध हनुमान मंदिर जहां हनुमान जी ने किया था कालनेमि का वध
बिजेथुआ धाम, सुल्तानपुर का एक ऐसा पवित्र स्थल है, जहां आस्था और इतिहास का अनूठा संगम है। यह मंदिर श्रीराम भक्त हनुमान जी को समर्पित है, जिन्होंने त्रेतायुग में लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लेने जाते समय कालनेमि राक्षस का वध किया था। मकड़ी कुंड और हनुमान जी की स्वयंभू प्रतिमा इस स्थान को और भी विशेष बनाती है। हर मंगलवार और शनिवार को यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, जो आस्था और भक्ति में डूबकर बजरंगबली के दर्शन करते हैं। रामायण से जुड़ी इस पौराणिक स्थली का उल्लेख रामचरितमानस और अन्य ग्रंथों में भी मिलता है। यह मंदिर न केवल सुल्तानपुर, बल्कि आसपास के जिलों जैसे अयोध्या, जौनपुर, और प्रतापगढ़ के भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। बिजेथुआ धाम तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग सुगम है, और यह स्थान प्रयाग, काशी, और अयोध्या जैसे तीर्थों के समान दूरी पर स्थित है। यह धाम भक्तों को आध्यात्मिक शांति और मनोकामनाओं की पूर्ति का विश्वास देता है।
बिजेथुआ धाम का परिचय
सुल्तानपुर जिले के कादीपुर तहसील में स्थित बिजेथुआ महावीरन धाम उत्तर प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर श्री हनुमान जी को समर्पित है और रामायण काल से जुड़ा हुआ है। इस स्थान का उल्लेख रामचरितमानस के लंका कांड और अध्यात्म रामायण में मिलता है, जहां हनुमान जी ने कालनेमि राक्षस का वध किया था। मंदिर परिसर में मकड़ी कुंड और हनुमान जी की स्वयंभू प्रतिमा इसकी विशेषता को और बढ़ाती है। यह स्थल न केवल धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक और पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
पौराणिक कथा: कालनेमि का वध
रामायण के अनुसार, जब लक्ष्मण मेघनाथ के शक्तिबाण से मूर्छित हो गए थे, तब हनुमान जी को सुषेण वैद्य ने संजीवनी बूटी लाने के लिए धौलागिरी पर्वत की ओर भेजा। रास्ते में रावण ने अपने मामा कालनेमि को साधु का वेश धारण कर हनुमान जी का मार्ग अवरुद्ध करने के लिए भेजा। कालनेमि ने एक सरोवर और आश्रम रचकर हनुमान जी को भटकाने की कोशिश की। जब हनुमान जी मकड़ी कुंड में पानी पीने गए, तब एक मकड़ी (जो एक शापित अप्सरा थी) ने उन्हें कालनेमि की असलियत बताई। हनुमान जी ने तुरंत कालनेमि का वध कर दिया और संजीवनी बूटी लाने का अपना कार्य पूरा किया।
मकड़ी कुंड का महत्व
मकड़ी कुंड बिजेथुआ धाम का एक अभिन्न हिस्सा है। मान्यता है कि हनुमान जी ने यहीं स्नान किया था। श्रद्धालु इस कुंड में स्नान कर या हाथ-पैर धोकर ही हनुमान जी के दर्शन करते हैं। यह कुंड पौराणिक कथा का प्रतीक है, जहां मकड़ी ने हनुमान जी को कालनेमि के छल से बचाया था। कुंड के पास ही मंदिर में स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा को स्वयंभू माना जाता है।
हनुमान जी की स्वयंभू प्रतिमा
बिजेथुआ धाम में हनुमान जी की प्रतिमा की एक अनूठी विशेषता है। मान्यता है कि इस प्रतिमा का दाहिना पैर पाताल लोक तक जाता है। पुरातत्व विभाग ने इस दावे की जांच के लिए खुदाई की, लेकिन प्रतिमा की गहराई का पता नहीं चल सका। यह प्रतिमा सुल्तानपुर और आसपास के जिलों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
बिजेथुआ धाम न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। हर मंगलवार और शनिवार को यहां मेले जैसा माहौल होता है, जहां हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। श्रावण मास में भी यहां विशेष आयोजन होते हैं। मंदिर में घंटियों की श्रृंखला भक्तों की मनोकामनाओं का प्रतीक है, जो वे अपनी इच्छापूर्ति के लिए चढ़ाते हैं।
रामायण सर्किट में शामिल
हाल ही में बिजेथुआ धाम को उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने रामायण सर्किट में शामिल किया है। इसके लिए 5 से 10 एकड़ जमीन की व्यवस्था की जा रही है, ताकि मेला परिसर और श्रद्धालुओं के लिए मूलभूत सुविधाएं विकसित की जा सकें। यह कदम इस स्थल को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा।
कैसे पहुंचें बिजेथुआ धाम
बिजेथुआ धाम तक पहुंचना काफी सुगम है।
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सड़क मार्ग: सुल्तानपुर शहर से कादीपुर तहसील लगभग 40 किमी दूर है। कादीपुर से सूरापुर बाजार तक 8 किमी और वहां से 2 किमी दक्षिण में बिजेथुआ धाम स्थित है।
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वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा प्रयागराज (लगभग 2 घंटे की दूरी) और लखनऊ का चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है।
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रेल मार्ग: सुल्तानपुर रेलवे स्टेशन से टैक्सी या बस द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
हनुमान जन्मोत्सव और अन्य आयोजन
बिजेथुआ धाम में हनुमान जन्मोत्सव 1982 से मनाया जा रहा है। यह तीन दिवसीय आयोजन हर साल नवंबर में होता है, जिसमें भजन संध्या और कथा वाचन जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। प्रसिद्ध भजन गायक जैसे अनूप जलोटा और मालिनी अवस्थी यहां अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं।
पर्यटन स्थल के रूप में महत्व
बिजेथुआ धाम प्रयाग, काशी, और अयोध्या जैसे तीर्थों के समान दूरी पर स्थित है, जिसे "तीन तीर्थों का संगम" कहा जाता है। यह स्थल न केवल धार्मिक, बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी आकर्षक है। मंदिर परिसर में 1889 अंकित एक प्राचीन घंटा भी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र है।
कंटेंट सोर्स: यह लेख विभिन्न विश्वसनीय स्रोतों और पौराणिक ग्रंथों जैसे रामचरितमानस और अध्यात्म रामायण के आधार पर तैयार किया गया है। जानकारी को सुल्तानपुर के स्थानीय इतिहास और जनश्रुतियों के साथ संयोजित किया गया है।
डिस्क्लेमर: यह लेख सूचना और धार्मिक जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। लेख में दी गई जानकारी ऐतिहासिक, पौराणिक, और स्थानीय मान्यताओं पर आधारित है। हम किसी भी तथ्य की पूर्ण सत्यता का दावा नहीं करते। पाठक अपनी विवेकानुसार जानकारी का उपयोग करें।
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बिजेथुआ धाम कहां स्थित है?
बिजेथुआ धाम उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में कादीपुर तहसील के सूरापुर में स्थित है। -
बिजेथुआ धाम क्यों प्रसिद्ध है?
यह मंदिर हनुमान जी द्वारा कालनेमि राक्षस के वध और संजीवनी बूटी की कथा से जुड़ा है। -
मकड़ी कुंड क्या है?
मकड़ी कुंड एक पवित्र सरोवर है, जहां हनुमान जी ने स्नान किया था। यह मंदिर के पास स्थित है। -
हनुमान जी की प्रतिमा की क्या विशेषता है?
माना जाता है कि प्रतिमा का दाहिना पैर पाताल लोक तक जाता है, जिसकी गहराई का पता नहीं चल सका। -
बिजेथुआ धाम में कौन से दिन भीड़ होती है?
मंगलवार और शनिवार को यहां मेले जैसा माहौल होता है। -
क्या बिजेथुआ धाम रामायण से जुड़ा है?
हां, इसका उल्लेख रामचरितमानस और अध्यात्म रामायण में कालनेमि वध की कथा के साथ मिलता है। -
बिजेथुआ धाम तक कैसे पहुंचा जा सकता है?
सड़क, रेल, और वायु मार्ग से सुल्तानपुर पहुंचकर वहां से कादीपुर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। -
क्या बिजेथुआ धाम में कोई विशेष आयोजन होता है?
हां, हनुमान जन्मोत्सव तीन दिन तक मनाया जाता है। -
मंदिर में घंटियों का क्या महत्व है?
भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए घंटियां चढ़ाते हैं। -
क्या बिजेथुआ धाम पर्यटन स्थल है?
हां, इसे रामायण सर्किट में शामिल किया गया है और यह पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है। -
मकड़ी कुंड का नाम कैसे पड़ा?
एक मकड़ी ने हनुमान जी को कालनेमि की असलियत बताई थी, इसलिए इसे मकड़ी कुंड कहा जाता है। -
क्या मंदिर में कोई प्राचीन वस्तु है?
हां, 1889 अंकित एक प्राचीन घंटा मंदिर परिसर में मौजूद है। -
क्या बिजेथुआ धाम के पास कोई अन्य दर्शनीय स्थल है?
यह प्रयाग, काशी, और अयोध्या के समान दूरी पर है, जो अन्य प्रमुख तीर्थ हैं। -
हनुमान जन्मोत्सव में कौन-कौन से कार्यक्रम होते हैं?
भजन संध्या, कथा वाचन, और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। -
क्या बिजेथुआ धाम में स्नान की सुविधा है?
हां, मकड़ी कुंड में श्रद्धालु स्नान कर सकते हैं।
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