करवा चौथ 2026: तिथि, चंद्रोदय समय, पूजा विधि, कथा और शुभ मुहूर्त | हिंदी में

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करवा चौथ 2026 का पर्व पति-पत्नी के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। यह पवित्र दिन सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, जब वे अपने पति की लंबी आयु, समृद्धि और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी और चंद्रदेव की पूजा की जाती है। करवा चौथ का उत्सव न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह परिवार और रिश्तेदारों के बीच एकता और प्रेम को भी बढ़ाता है। सूर्योदय से चंद्रोदय तक चलने वाला यह कठिन व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को और मजबूत बनाता है।
आइए, हम करवा चौथ 2026 की तिथि, चंद्रोदय समय, पूजा विधान, कथा और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से जानें।
करवा चौथ 2026: तारीख और महत्व
करवा चौथ का पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व उत्तर भारत में विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और राजस्थान में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। करवा चौथ 2026 में 29 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। यह व्रत सूर्योदय से शुरू होकर चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने तक चलता है।
करवा चौथ का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है – “करवा” (मिट्टी का बर्तन) और “चौथ” (चतुर्थी)। इस पर्व में मिट्टी के करवे का विशेष महत्व है, जिसे गणेश जी का प्रतीक माना जाता है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी और चंद्रदेव की पूजा करती हैं। यह पर्व पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक है।
करवा चौथ 2026: चंद्रोदय समय (सीटल, वाशिंगटन, संयुक्त राज्य अमेरिका)
सीटल, वाशिंगटन में करवा चौथ 2026 के लिए चंद्रोदय का समय स्थानीय समय के अनुसार रात 7:36 बजे (29 अक्टूबर 2026) होगा। यह समय मौसम और स्थान के आधार पर थोड़ा भिन्न हो सकता है। चंद्रोदय के बाद महिलाएं छलनी से चंद्रमा का दर्शन करती हैं, फिर अपने पति का चेहरा देखती हैं और उनके हाथों से जल पीकर व्रत खोलती हैं।
करवा चौथ पूजा विधान
करवा चौथ का व्रत और पूजा विधान अत्यंत पवित्र और विधिवत होता है। नीचे इसकी विस्तृत प्रक्रिया दी गई है:
- ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और संकल्प: सुबह ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से पहले) में उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। करवा माता को याद करते हुए व्रत का संकल्प लें। संकल्प मंत्र इस प्रकार है:
मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये कर्क चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये। - सरगी: सूर्योदय से पहले सास द्वारा दी गई सरगी का सेवन करें। सरगी में मिठाई, फल, सेंवई, पूड़ी और श्रृंगार का सामान शामिल होता है। यह भोजन दिनभर के लिए ऊर्जा प्रदान करता है। सीटल में सूर्योदय का समय सुबह लगभग 7:50 बजे होगा, इसलिए सरगी सुबह 5:30 से 6:30 बजे के बीच खाएं।
- पूजा की तैयारी: पूजा स्थल पर लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। उस पर भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी और कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। मिट्टी के करवे में जल भरें और ढक्कन पर शक्कर रखें। पूजा थाली में दीपक, धूप, चंदन, रोली, अक्षत, फूल, मिठाई और जल का लोटा रखें।
- पूजा और कथा: संध्या समय में शुभ मुहूर्त (शाम 5:57 से 7:11 बजे तक) में पूजा शुरू करें। गणेश जी की पूजा सबसे पहले करें, फिर शिव-पार्वती और कार्तिकेय की पूजा करें। करवा चौथ की कथा पढ़ें या सुनें। कथा सुनने के बाद मंत्रों का जाप करें:
- गणेश मंत्र: वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
- शिव मंत्र: ॐ नमः शिवाय
- चंद्रमा अर्घ्य मंत्र: गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते। गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥
- चंद्र दर्शन और अर्घ्य: चंद्रोदय के बाद (7:36 बजे) छलनी में दीपक रखकर चंद्रमा का दर्शन करें। इसके बाद छलनी से पति का चेहरा देखें और उनकी आरती उतारें। चंद्रमा को जल अर्पित करें और पति के हाथों से जल पीकर व्रत खोलें।
- सास को उपहार: व्रत पूरा होने के बाद सास को पूजा की थाली में मिठाई, फल, मेवे और कुछ रुपये देकर उनका आशीर्वाद लें।
करवा चौथ व्रत कथा
करवा चौथ की कथा पति-पत्नी के प्रेम और समर्पण को दर्शाती है। एक लोकप्रिय कथा के अनुसार, वीरवती नाम की एक महिला ने अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा। लेकिन कमजोरी के कारण उसने चंद्रमा के दर्शन से पहले व्रत तोड़ दिया, जिसके परिणामस्वरूप उसके पति की मृत्यु हो गई। माता पार्वती के हस्तक्षेप और वीरवती की भक्ति से उसके पति को पुनर्जनम मिला। यह कथा इस व्रत के महत्व और नियमों का पालन करने की प्रेरणा देती है।
करवा चौथ 2026: शुभ मुहूर्त
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 28 अक्टूबर 2026, रात 11:06 बजे
- चतुर्थी तिथि समाप्त: 29 अक्टूबर 2026, रात 8:09 बजे
- पूजा मुहूर्त: शाम 5:57 बजे से 7:11 बजे तक
- चंद्रोदय समय (सीटल): रात 7:36 बजे
करवा चौथ पूजा सामग्री
- मिट्टी या तांबे का करवा और ढक्कन
- जल का लोटा, छलनी, दीपक, रुई, कपूर
- चंदन, रोली, अक्षत (चावल), हल्दी, शहद
- फूल, मिठाई, फल, मेवे, गंगाजल
- लाल चुनरी, बिंदी, मेहंदी, चूड़ियां, बिछुआ
- लकड़ी का आसन, पीली मिट्टी, शक्कर का बूरा
करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ का पर्व पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। यह व्रत न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी परिवारों को एकजुट करता है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, जो उनकी सुहाग की निशानी है। यह पर्व नवविवाहित जोड़ों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उनके रिश्ते को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है।
करवा चौथ 2026: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- करवा चौथ 2026 कब है?
करवा चौथ 29 अक्टूबर 2026, गुरुवार को मनाया जाएगा। - सीटल, वाशिंगटन में चंद्रोदय का समय क्या है?
चंद्रोदय रात 7:36 बजे (स्थानीय समय) होगा। - करवा चौथ का व्रत कौन रख सकता है?
सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं (जिनका विवाह तय हो चुका हो) यह व्रत रख सकती हैं। - क्या पुरुष भी करवा चौथ का व्रत रख सकते हैं?
हां, कुछ पुरुष अपनी पत्नी की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखते हैं। - सरगी क्या है और इसे कब खाया जाता है?
सरगी सास द्वारा दी गई भोजन सामग्री है, जिसे सूर्योदय से पहले (5:30-6:30 बजे) खाया जाता है। - करवा चौथ में कौन-कौन से देवताओं की पूजा की जाती है?
भगवान गणेश, शिव, पार्वती, कार्तिकेय और चंद्रदेव की पूजा की जाती है। - करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
पूजा मुहूर्त शाम 5:57 बजे से 7:11 बजे तक है। - क्या चंद्रमा न दिखने पर व्रत कैसे तोड़ा जाए?
पूर्व-उत्तर दिशा में चंद्रमा को अर्घ्य देकर या शिव मंदिर में शिव जी के माथे पर चंद्रमा का दर्शन कर व्रत तोड़ा जा सकता है। - करवा चौथ में मिट्टी के करवे का क्या महत्व है?
मिट्टी का करवा गणेश जी का प्रतीक है और पूजा में इसका विशेष महत्व है। - क्या करवा चौथ का व्रत बिना सरगी के रखा जा सकता है?
हां, कुछ क्षेत्रों में सरगी की परंपरा नहीं होती, और व्रत निर्जला रखा जाता है। - करवा चौथ की कथा क्यों पढ़ी जाती है?
कथा व्रत के महत्व और पति-पत्नी के प्रेम को दर्शाती है, जो भक्ति और विश्वास को बढ़ाती है। - क्या करवा चौथ का व्रत गर्भवती महिलाएं रख सकती हैं?
गर्भवती महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के अनुसार पंडित से परामर्श लेकर व्रत रखना चाहिए। - करवा चौथ में सोलह श्रृंगार का क्या महत्व है?
सोलह श्रृंगार सुहाग की निशानी है और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि का प्रतीक है। - करवा चौथ का व्रत कितने घंटे का होता है?
यह सूर्योदय (सुबह 7:50 बजे) से चंद्रोदय (रात 7:36 बजे) तक, यानी लगभग 12 घंटे का होता है। - क्या करवा चौथ का व्रत विदेश में भी मनाया जाता है?
हां, विदेशों में रहने वाले भारतीय समुदाय, विशेषकर उत्तर भारतीय, इसे उत्साह से मनाते हैं।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, पंचांग और ज्योतिषीय स्रोतों पर आधारित है। यह केवल सूचना के उद्देश्य से है और इसे पूर्णतः सटीक या प्रामाणिक नहीं माना जाना चाहिए। करवा चौथ व्रत और पूजा विधान के लिए किसी योग्य पंडित या ज्योतिषी से परामर्श लें। हम किसी भी जानकारी की सटीकता की गारंटी नहीं लेते।