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दशहरा 2026: तारीख, मुहूर्त, पूजा विधि और उत्सव का महत्व

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दशहरा 2026, विजयादशमी के रूप में, अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। यह पर्व भगवान राम के रावण पर विजय और माता अपराजिता की कृपा का उत्सव है। इस दिन अपराह्न काल में पूजा, शस्त्र पूजा, और शमी पूजन जैसे रीति-रिवाजों के साथ उत्साह और भक्ति का माहौल बनता है। मैसूर का दशहरा उत्सव अपनी भव्यता के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह हमें अपने अंदर की नकारात्मकता को खत्म करने की प्रेरणा भी देता है। Lordkart आपको दशहरा 2026 के मुहूर्त, पूजा विधि और कथाओं के साथ इस पर्व को और भी खास बनाने में मदद करता है।

दशहरा 2026: तारीख और मुहूर्त

दशहरा 2026, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, 20 अक्टूबर 2026 (मंगलवार) को मनाया जाएगा। यह पर्व अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अपराह्न काल में मनाया जाता है। न्यू दिल्ली, भारत के लिए निम्नलिखित मुहूर्त हैं:

  • विजय मुहूर्त: 13:59:31 से 14:45:01 तक (अवधि: 45 मिनट)
  • अपराह्न मुहूर्त: 13:14:02 से 15:30:30 तक

दशहरा का महत्व

दशहरा हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। यह पर्व भगवान राम द्वारा रावण के वध और माता अपराजिता की कृपा से जुड़ा है। इस दिन लोग अपने अंदर की नकारात्मकता जैसे क्रोध, लालच, और अहंकार को त्यागने का संकल्प लेते हैं। दशहरा को आयुध पूजा और शस्त्र पूजा के रूप में भी मनाया जाता है, खासकर क्षत्रियों और योद्धाओं द्वारा।

दशहरा मुहूर्त के नियम

दशहरा का उत्सव अपराह्न काल में मनाया जाता है, जो सूर्योदय के बाद दसवें से बारहवें मुहूर्त तक होता है। निम्नलिखित नियम दशहरा मुहूर्त को निर्धारित करते हैं:

  1. यदि दशमी तिथि दो दिन हो, लेकिन केवल दूसरे दिन अपराह्न काल में हो, तो दशहरा दूसरे दिन मनाया जाएगा।
  2. यदि दशमी तिथि दोनों दिन अपराह्न काल में हो, तो दशहरा पहले दिन मनाया जाता है।
  3. यदि दशमी तिथि दोनों दिन हो, लेकिन अपराह्न काल में न हो, तो भी यह पर्व पहले दिन मनाया जाएगा।
  4. श्रवण नक्षत्र भी दशहरा मुहूर्त को प्रभावित करता है। यदि श्रवण नक्षत्र पहले दिन अपराह्न काल में हो, तो दशहरा पहले दिन मनाया जाएगा।

अपराजिता पूजा की विधि

अपराजिता पूजा दशहरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे अपराह्न काल में किया जाता है। नीचे पूजा की विधि दी गई है:

  1. स्थान का चयन: घर के पूर्वोत्तर दिशा में मंदिर, बगीचे या किसी शुद्ध स्थान को चुनें।
  2. स्थान की शुद्धि: स्थान को साफ करें और चंदन से अष्टदल चक्र (आठ कमल पंखुड़ियों का चक्र) बनाएं।
  3. संकल्प: माता अपराजिता की पूजा परिवार या व्यक्तिगत कल्याण के लिए करें।
  4. मंत्रों के साथ आह्वान:
    • माता अपराजिता का आह्वान ‘अपराजिताय नमः’ मंत्र से करें।
    • दायीं ओर माता जया का आह्वान ‘क्रियाशक्त्यै नमः’ मंत्र से करें।
    • बायीं ओर माता विजया का आह्वान ‘उमायै नमः’ मंत्र से करें।
  5. षोडषोपचार पूजा: ‘अपराजिताय नमः’, ‘जयायै नमः’, और ‘विजयायै नमः’ मंत्रों के साथ पूजा करें।
  6. प्रार्थना: पूजा के अंत में माता से अपनी पूजा स्वीकार करने की प्रार्थना करें।
  7. विसर्जन: ‘हारेण तु विचित्रेण भास्वत्कनकमेखला। अपराजिता भद्ररता करोतु विजयं मम।’ मंत्र के साथ पूजा का विसर्जन करें।

दशहरा उत्सव और परंपराएं

दशहरा के दिन कई परंपराएं और अनुष्ठान किए जाते हैं:

  • विजय मुहूर्त: सूर्यास्त के समय जब तारे दिखाई देने लगते हैं, यह समय विजय मुहूर्त कहलाता है। इस दौरान कोई भी कार्य शुरू करने से सफलता मिलती है।
  • शस्त्र पूजा: क्षत्रिय और योद्धा अपने हथियारों की पूजा करते हैं।
  • शमी पूजन: शमी वृक्ष की पूजा की जाती है, जो विजय का प्रतीक है।
  • रामलीला का समापन: कई स्थानों पर नवरात्रि के दौरान होने वाली रामलीला का समापन दशहरे के दिन होता है।
  • रावण दहन: रावण, कुंभकर्ण, और मेघनाथ के पुतलों को जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाया जाता है।
  • मैसूर दशहरा: मैसूर में यह पर्व भव्य रूप में मनाया जाता है, जो विश्व प्रसिद्ध है।

दशहरा की कथाएं

  1. राम और रावण की कथा: भगवान राम ने दशमी तिथि को रावण का वध किया था। इसीलिए इस दिन को दशहरा कहा जाता है, जो दस सिर वाले रावण के अंत का प्रतीक है।
  2. महाभारत की कथा: अर्जुन ने अज्ञातवास के दौरान अपनी गांडीव धनुष को शमी वृक्ष पर छिपाया था। दशहरे के दिन उन्होंने इसे निकालकर दुश्मनों को हराया।
  3. शमी वृक्ष की कथा: जब श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई की, तब शमी वृक्ष ने उनकी विजय की भविष्यवाणी की थी।

दशहरा का आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व

दशहरा हमें यह सिखाता है कि सत्य और धर्म की हमेशा जीत होती है। यह पर्व हमें अपने अंदर की बुराइयों जैसे क्रोध, लालच, और अहंकार को त्यागने की प्रेरणा देता है। सामाजिक रूप से, यह पर्व समुदाय को एक साथ लाता है, जहां लोग रामलीला, रावण दहन, और अन्य उत्सवों में हिस्सा लेते हैं।

15 पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. दशहरा 2026 कब है?
    दशहरा 20 अक्टूबर 2026 (मंगलवार) को मनाया जाएगा।
  2. दशहरा का मुख्य मुहूर्त क्या है?
    न्यू दिल्ली के लिए विजय मुहूर्त 13:59:31 से 14:45:01 तक और अपराह्न मुहूर्त 13:14:02 से 15:30:30 तक है।
  3. दशहरा क्यों मनाया जाता है?
    यह पर्व भगवान राम की रावण पर विजय और अच्छाई की बुराई पर जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
  4. अपराजिता पूजा क्या है?
    अपराजिता पूजा दशहरे के दिन अपराह्न काल में माता अपराजिता, जया, और विजया की पूजा है।
  5. शमी पूजन का महत्व क्या है?
    शमी वृक्ष विजय का प्रतीक है और इसकी पूजा दशहरे पर की जाती है।
  6. विजय मुहूर्त क्या है?
    यह सूर्यास्त के समय होता है, जब तारे दिखाई देते हैं। इस समय शुरू किए गए कार्य सफल होते हैं।
  7. दशहरे पर शस्त्र पूजा क्यों की जाती है?
    क्षत्रिय और योद्धा अपनी शक्ति और विजय के लिए हथियारों की पूजा करते हैं।
  8. मैसूर दशहरा क्यों प्रसिद्ध है?
    मैसूर में दशहरा भव्य परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, और रोशनी के साथ मनाया जाता है।
  9. रावण दहन का क्या महत्व है?
    रावण दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
  10. क्या दशहरा और विजयादशमी एक ही हैं?
    हां, दोनों एक ही पर्व हैं, जो अश्विन शुक्ल दशमी को मनाया जाता है।
  11. दशहरे पर कौन सी पूजा की जाती है?
    अपराजिता पूजा, शस्त्र पूजा, शमी पूजन, और सरस्वती पूजा की जाती है।
  12. श्रवण नक्षत्र दशहरा मुहूर्त को कैसे प्रभावित करता है?
    यदि श्रवण नक्षत्र अपराह्न काल में हो, तो यह दशहरा तिथि को प्रभावित करता है।
  13. दशहरा साढ़े तीन मुहूर्त में क्यों गिना जाता है?
    यह साल के सबसे शुभ मुहूर्तों में से एक है, जो नए कार्य शुरू करने के लिए उत्तम है।
  14. क्या दशहरा पर कोई विशेष भोजन बनाया जाता है?
    कई जगहों पर मिठाइयां, खीर, और विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं।
  15. दशहरा और नवरात्रि का क्या संबंध है?
    नवरात्रि के नौ दिनों के बाद दशहरा दसवें दिन मनाया जाता है, जो रामलीला का समापन भी होता है।

दशहरा 2026 का यह पर्व न केवल धार्मिक उत्साह बल्कि सामाजिक एकता और आध्यात्मिक जागरूकता का भी प्रतीक है। Lordkart आपको इस पर्व को पूर्ण भक्ति और उत्साह के साथ मनाने के लिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि प्रदान करता है। दशहरा की शुभकामनाएं!

डिस्क्लेमर:
यह लेख केवल सूचना और ज्योतिषीय मार्गदर्शन के उद्देश्य से है। Lordkart इस सामग्री की सटीकता या पूर्णता की गारंटी नहीं देता। पूजा या अनुष्ठान करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी या पंडित से सलाह लें। Lordkart किसी भी नुकसान या परिणाम के लिए जिम्मेदार नहीं होगा।

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