Festival

2026 में दिवाली: तारीख, मुहूर्त और महत्व

Getting your Trinity Audio player ready...

दिवाली, दीपों का उत्सव, हिंदू धर्म का सबसे प्रमुख और पवित्र त्योहार है, जो अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। वर्ष 2026 में, यह पर्व 8 नवंबर को मनाया जाएगा, जब कार्तिक अमावस्या के दिन मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और अन्य देवी-देवताओं की पूजा की जाएगी। यह त्योहार न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। घरों को दीपों से सजाया जाता है, मिठाइयां बांटी जाती हैं, और परिवार एकजुट होकर उत्सव मनाते हैं। ज्योतिषीय दृष्टि से, इस समय सूर्य और चंद्रमा तुला राशि में स्वाति नक्षत्र में रहते हैं, जो शुभ फल प्रदान करता है। लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त, जैसे प्रदोष काल और महानिशीथ काल, धन और समृद्धि के लिए विशेष महत्व रखता है। इस लेख में, हम 2026 की दिवाली की तारीख, पूजा विधि, और इस पर्व से जुड़ी पौराणिक कथाओं के बारे में विस्तार से बताएंगे। आइए, इस पवित्र उत्सव को पूरे उत्साह और भक्ति के साथ मनाएं और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करें।

2026 में दिवाली कब है?

वर्ष 2026 में, दिवाली 8 नवंबर, रविवार को मनाई जाएगी। यह पर्व कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को प्रदोष काल में मनाया जाता है। यदि अमावस्या दो दिन तक प्रदोष काल को स्पर्श न करे, तो दूसरे दिन दिवाली मनाने की परंपरा है। कुछ मतों के अनुसार, यदि अमावस्या तिथि का विलोपन हो जाए, तो चतुर्दशी तिथि को ही दिवाली मनाई जाती है।

न्यू दिल्ली, भारत के लिए लक्ष्मी पूजा मुहूर्त

प्रदोष काल मुहूर्त:

  • लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 17:55 से 19:51 तक
  • अवधि: 1 घंटा 55 मिनट
  • प्रदोष काल: 17:31 से 20:08 तक
  • वृषभ काल: 17:55 से 19:51 तक

महानिशीथ काल मुहूर्त:

  • लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 23:38 से 24:31 तक
  • अवधि: 0 घंटा 52 मिनट
  • महानिशीथ काल: 23:38 से 24:31 तक
  • सिंह काल: 24:27 से 26:45 तक

शुभ चौघड़िया मुहूर्त:

  • प्रातःकाल (अमृत): 11:29 से 12:04 तक
  • अपराह्न (शुभ): 13:26 से 14:48 तक
  • सायंकाल (शुभ, अमृत, चल): 17:31 से 22:26 तक
  • रात्रि (लाभ): 25:43 से 27:21 तक
  • उषाकाल (शुभ): 29:00 से 30:38 तक

दिवाली का महत्व

दिवाली, जिसे दीपोत्सव भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। यह पांच दिनों तक चलने वाला उत्सव है, जो धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक मनाया जाता है। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश, असत्य पर सत्य, और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हिंदू धर्म के अलावा, जैन, सिख, और बौद्ध धर्म के अनुयायी भी इसे अपने-अपने तरीके से मनाते हैं।

  • जैन धर्म: जैन समुदाय में दिवाली भगवान महावीर के मोक्ष प्राप्ति के दिन के रूप में मनाई जाती है।
  • सिख धर्म: सिख समुदाय इसे बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाता है, जब गुरु हरगोबिंद जी ने 52 राजाओं को मुगल कैद से मुक्त कराया था।
  • बौद्ध धर्म: बौद्ध अनुयायी इसे सम्राट अशोक के बौद्ध धर्म अपनाने के उपलक्ष्य में मनाते हैं।

लक्ष्मी पूजा की विधि

दिवाली पर मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, मां सरस्वती, और कुबेर देव की पूजा का विशेष महत्व है। यह पूजा प्रदोष काल या महानिशीथ काल में की जाती है। नीचे दी गई विधि का पालन करें:

  1. घर की साफ-सफाई: पूजा से पहले घर को अच्छी तरह साफ करें। गंगाजल का छिड़काव करें और मुख्य द्वार पर रंगोली और दीप जलाएं।
  2. पूजा स्थल की तैयारी: एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। मां लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पास में जल से भरा कलश रखें।
  3. पूजा सामग्री: तिलक, दीपक, फल, चावल, हल्दी, गुड़, अबीर-गुलाल, और फूल अर्पित करें।
  4. पूजा प्रक्रिया: मां लक्ष्मी, गणेश जी, मां सरस्वती, मां काली, और कुबेर देव की विधिवत पूजा करें। मंत्रों का जाप करें और महालक्ष्मी की स्तुति करें।
  5. पारिवारिक पूजा: पूजा में परिवार के सभी सदस्यों को शामिल करें।
  6. तिजोरी और बहीखाता पूजन: व्यापारिक उपकरणों और बहीखातों की पूजा करें।
  7. दक्षिणा और दान: पूजा के बाद जरूरतमंदों को मिठाई और दक्षिणा दें।

दिवाली पर क्या करें और क्या न करें

क्या करें:

  • स्नान और तेल मालिश: सुबह तेल मालिश के बाद स्नान करें। यह धन हानि को रोकता है।
  • पूर्वजों का पूजन: प्रदोष काल में दीपक जलाकर पितरों को मार्ग दिखाएं।
  • उत्सव और भजन: मध्य रात्रि से पहले भजन और उत्सव मनाएं ताकि दरिद्रता दूर हो।
  • घर की सजावट: घर को दीपों और रंगोली से सजाएं।

क्या न करें:

  • तामसिक भोजन: शराब और मांसाहारी भोजन से बचें।
  • जुआ: जुआ खेलने से बचें, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है।
  • अशुद्धता: घर को गंदा न रखें।

पौराणिक कथाएं

दिवाली से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं:

  1. श्री राम की वापसी: कार्तिक अमावस्या को भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे। उनकी वापसी की खुशी में लोगों ने दीप जलाए।
  2. नरकासुर का वध: भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध कर 16,000 स्त्रियों को मुक्त कराया, जिसके बाद अमावस्या को दीप जलाए गए।
  3. लक्ष्मी जी का प्रकट होना: समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी क्षीरसागर से प्रकट हुईं और भगवान विष्णु को पति के रूप में स्वीकार किया।
  4. राजा बलि की कथा: भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का स्वामी बनाया, जिसके बाद इंद्र ने दीप जलाकर उत्सव मनाया।

ज्योतिषीय महत्व

दिवाली के समय सूर्य और चंद्रमा तुला राशि में स्वाति नक्षत्र में होते हैं, जो शुभ फलदायी माना जाता है। तुला राशि, जिसके स्वामी शुक्र हैं, संतुलन, सौहार्द, और समृद्धि का प्रतीक है। यह समय नई शुरुआत, खरीदारी, और निवेश के लिए शुभ माना जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

  1. 2026 में दिवाली कब है?
    2026 में दिवाली 8 नवंबर, रविवार को मनाई जाएगी।
  2. दिवाली किस महीने में है?
    यह नवंबर महीने में पड़ती है।
  3. बिहार में दिवाली कब है?
    बिहार में भी 8 नवंबर 2026 को दिवाली मनाई जाएगी।
  4. दिवाली क्यों मनाई जाती है?
    यह भगवान राम के वनवास से लौटने, नरकासुर के वध, और मां लक्ष्मी के प्रकट होने की खुशी में मनाई जाती है।
  5. लक्ष्मी पूजा का सबसे शुभ समय क्या है?
    प्रदोष काल (17:55 से 19:51) सबसे शुभ माना जाता है।
  6. महानिशीथ काल में कौन पूजा करता है?
    यह समय तांत्रिकों और साधकों के लिए उपयुक्त है, जब मां काली की पूजा की जाती है।
  7. दिवाली पर क्या खाना बनाना चाहिए?
    मिठाइयां, खीर, पूड़ी, और अन्य स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं।
  8. दिवाली का प्राचीन नाम क्या है?
    इसका प्राचीन नाम दीपोत्सव है।
  9. दिवाली पर क्या देखना शुभ है?
    उल्लू, छिपकली, और बिल्ली का दिखना शुभ माना जाता है।
  10. दिवाली पर क्या नहीं करना चाहिए?
    जुआ, शराब, और तामसिक भोजन से बचें।
  11. क्या दिवाली केवल हिंदुओं का त्योहार है?
    नहीं, जैन, सिख, और बौद्ध धर्म के लोग भी इसे मनाते हैं।
  12. लक्ष्मी पूजा में किन देवताओं की पूजा होती है?
    मां लक्ष्मी, गणेश जी, सरस्वती, काली, और कुबेर की पूजा होती है।
  13. दिवाली पर घर की सजावट कैसे करें?
    दीप, रंगोली, और झालरों से घर सजाएं।
  14. दिवाली का ज्योतिषीय महत्व क्या है?
    सूर्य और चंद्रमा तुला राशि में स्वाति नक्षत्र में होते हैं, जो शुभ फल देता है।
  15. दिवाली पर दान का क्या महत्व है?
    जरूरतमंदों को दान देने से पुण्य और समृद्धि प्राप्त होती है।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। lordkart किसी भी जानकारी की सटीकता या पूर्णता की गारंटी नहीं देता। पूजा और अनुष्ठानों के लिए स्थानीय पंडित या ज्योतिषी से सलाह लें।

आभार: हम अपने पाठकों और भारतीय संस्कृति के प्रति समर्पित विद्वानों को धन्यवाद देते हैं, जिनके योगदान से यह जानकारी संकलित की गई है।

हमारी शुभकामनाएं हैं कि यह दिवाली आपके जीवन में सुख, समृद्धि, और प्रकाश लाए। मां लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *