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चैत्र नवरात्रि 2026: तिथियाँ, मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व | lordkart

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चैत्र नवरात्रि 2026, हिंदू धर्म का एक पवित्र पर्व, माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। यह नौ दिवसीय उत्सव हिंदू नववर्ष की शुरुआत के साथ शुरू होता है, जिसमें भक्त माँ शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं। न्यू दिल्ली, भारत के लिए 19 मार्च से 27 मार्च 2026 तक यह पर्व उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाएगा। इस दौरान कलश स्थापना, कन्या पूजन और उपवास जैसे अनुष्ठान माँ की कृपा प्राप्त करने के लिए किए जाते हैं।

lordkart आपके लिए लाया है इस पर्व की सभी महत्वपूर्ण जानकारी, ताकि आप इस उत्सव को पूरे विधि-विधान के साथ मना सकें।

चैत्र नवरात्रि 2026 का महत्व

चैत्र नवरात्रि, जिसे वसंत नवरात्रि भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखता है। यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है और नौ दिनों तक चलता है। इस दौरान माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जो शक्ति, भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक हैं। यह उत्सव हिंदू नववर्ष की शुरुआत का भी प्रतीक है, जो नई शुरुआत और समृद्धि का संदेश देता है।

चैत्र नवरात्रि का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। यह समय भक्तों के लिए आत्म-शुद्धि, ध्यान और माँ की कृपा प्राप्त करने का होता है। नवरात्रि में किए जाने वाले उपवास, पूजा और कन्या भोज से भक्तों को मानसिक शांति और सकारात्मकता प्राप्त होती है। कई स्थानों पर इसे गुड़ी पड़वा के रूप में भी मनाया जाता है, जो समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है।

चैत्र नवरात्रि 2026 की तिथियाँ

चैत्र नवरात्रि 2026 की तिथियाँ और मुहूर्त:

  • दिन 1: प्रतिपदा (19 मार्च 2026, गुरुवार) – माँ शैलपुत्री पूजा, कलश स्थापना
  • दिन 2: द्वितीया (20 मार्च 2026, शुक्रवार) – माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
  • दिन 3: तृतीया (21 मार्च 2026, शनिवार) – माँ चंद्रघंटा पूजा
  • दिन 4: चतुर्थी (22 मार्च 2026, रविवार) – माँ कुष्मांडा पूजा
  • दिन 5: पंचमी (23 मार्च 2026, सोमवार) – माँ स्कंदमाता पूजा
  • दिन 6: षष्ठी (24 मार्च 2026, मंगलवार) – माँ कात्यायनी पूजा
  • दिन 7: सप्तमी (25 मार्च 2026, बुधवार) – माँ कालरात्रि पूजा
  • दिन 8: अष्टमी (26 मार्च 2026, गुरुवार) – माँ महागौरी पूजा, कन्या पूजन
  • दिन 9: नवमी (27 मार्च 2026, शुक्रवार) – माँ सिद्धिदात्री पूजा, राम नवमी

कलश स्थापना: विधि और महत्व

कलश स्थापना चैत्र नवरात्रि का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इसे घटस्थापना भी कहा जाता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, कलश को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। इसकी स्थापना से सभी देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है।

कलश स्थापना की विधि

  1. स्थान की शुद्धि: पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
  2. कलश की तैयारी: एक मिट्टी या धातु का कलश लें। इसे पांच प्रकार के पत्तों (आम, पीपल, बरगद, अशोक, और पाकर) से सजाएँ।
  3. कलश में सामग्री: कलश में हल्दी की गांठ, सुपारी, दूर्वा, और जल डालें।
  4. जौ बोना: कलश के नीचे बालू की वेदी बनाएँ और उसमें जौ बोएँ। यह माँ अन्नपूर्णा को प्रसन्न करने का प्रतीक है।
  5. माँ दुर्गा की स्थापना: माँ की मूर्ति या तस्वीर को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
  6. श्रृंगार: माँ का श्रृंगार रोली, चावल, सिंदूर, फूल, चुनरी, साड़ी और आभूषणों से करें।
  7. अखंड दीप: एक अखंड दीप जलाएँ, जो पूरे नवरात्रि जलता रहे।
  8. आरती: गणेश जी और माँ दुर्गा की आरती करें।

कलश स्थापना का महत्व

कलश स्थापना से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह पूजा की शुरुआत का प्रतीक है और माँ की कृपा प्राप्त करने का साधन है। जौ बोना समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति का प्रतीक है।

माँ दुर्गा के नौ स्वरूप

चैत्र नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। प्रत्येक स्वरूप का विशेष महत्व और शक्ति है:

  1. माँ शैलपुत्री: पहाड़ों की पुत्री, जो शक्ति और स्थिरता का प्रतीक हैं।
  2. माँ ब्रह्मचारिणी: तप और साधना की देवी, जो भक्तों को संयम प्रदान करती हैं।
  3. माँ चंद्रघंटा: शांति और साहस की प्रतीक, जिनके माथे पर चंद्रमा है।
  4. माँ कुष्मांडा: सृष्टि की रचयिता, जो सूर्य की भांति ऊर्जा देती हैं।
  5. माँ स्कंदमाता: भगवान कार्तिकेय की माता, जो ममता और शक्ति का प्रतीक हैं।
  6. माँ कात्यायनी: युद्ध की देवी, जो बुराई का नाश करती हैं।
  7. माँ कालरात्रि: अंधकार और भय का नाश करने वाली शक्ति।
  8. माँ महागौरी: शुद्धता और सौंदर्य की प्रतीक।
  9. माँ सिद्धिदात्री: सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी।

कन्या पूजन: परंपरा और महत्व

नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन किया जाता है। छोटी कन्याओं को माँ दुर्गा का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है।

कन्या पूजन की विधि

  1. नौ कन्याओं (2 से 10 वर्ष की आयु) को आमंत्रित करें।
  2. उनके पैर धोकर तिलक लगाएँ।
  3. उन्हें भोजन में हलवा, पूरी, खीर आदि परोसें।
  4. दक्षिणा, वस्त्र या उपहार देकर उनका आशीर्वाद लें।

महत्व

कन्या पूजन से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। यह परंपरा भक्ति, दान और श्रद्धा का प्रतीक है।

उपवास और नियम

नवरात्रि में कई भक्त नौ दिनों तक उपवास रखते हैं। उपवास के दौरान नियमों का पालन करें:

  • केवल सात्विक भोजन (फल, दूध, कुट्टू का आटा, साबूदाना) ग्रहण करें।
  • लहसुन, प्याज और मांसाहारी भोजन से बचें।
  • प्रतिदिन माँ की पूजा और आरती करें।
  • मन और शरीर की शुद्धि के लिए ध्यान और जप करें।

डिस्क्लेमर

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। चैत्र नवरात्रि 2026 की तिथियाँ और मुहूर्त भारत के लिए दिए गए हैं। पूजा-पाठ और अनुष्ठानों के लिए स्थानीय पंचांग और ज्योतिषी से परामर्श लें। lordkart किसी भी प्रकार की हानि या गलत जानकारी के लिए उत्तरदायी नहीं है।

FAQs

  1. चैत्र नवरात्रि 2026 कब शुरू होगी?
    चैत्र नवरात्रि 19 मार्च 2026 से शुरू होगी।
  2. चैत्र नवरात्रि का महत्व क्या है?
    यह पर्व माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा और हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।
  3. कलश स्थापना क्यों की जाती है?
    कलश को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है, और यह सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  4. कन्या पूजन कब किया जाता है?
    अष्टमी और नवमी तिथि (26 और 27 मार्च 2026) को कन्या पूजन किया जाता है।
  5. नवरात्रि में कितने दिन उपवास रखना चाहिए?
    भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार एक, सात या नौ दिन उपवास रख सकते हैं।
  6. चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में क्या अंतर है?
    चैत्र नवरात्रि वसंत ऋतु में और शारदीय नवरात्रि शरद ऋतु में मनाई जाती है।
  7. क्या गुप्त नवरात्रि भी मनाई जाती है?
    हाँ, आषाढ़ और माघ माह में गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है, जो तंत्र साधना के लिए महत्वपूर्ण है।
  8. कलश में क्या-क्या रखा जाता है?
    कलश में हल्दी, सुपारी, दूर्वा और जल डाला जाता है।
  9. नवरात्रि में कौन-से भोजन खा सकते हैं?
    सात्विक भोजन जैसे फल, कुट्टू का आटा, साबूदाना और दूध ग्रहण कर सकते हैं।
  10. माँ दुर्गा के नौ स्वरूप कौन-से हैं?
    शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।
  11. क्या पुरुष भी नवरात्रि का उपवास रख सकते हैं?
    हाँ, पुरुष और महिलाएँ दोनों उपवास रख सकते हैं।
  12. कन्या पूजन में कितनी कन्याओं को बुलाना चाहिए?
    नौ कन्याओं को आमंत्रित करना शुभ माना जाता है।
  13. अखंड दीप का क्या महत्व है?
    अखंड दीप सकारात्मकता और माँ की कृपा का प्रतीक है।
  14. नवरात्रि में कौन-सी पूजा सामग्री आवश्यक है?
    रोली, चावल, सिंदूर, फूल, चुनरी, साड़ी, और आभूषण आदि।
  15. क्या नवरात्रि में मंत्र जप करना चाहिए?
    हाँ, माँ दुर्गा के मंत्रों का जप करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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