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मकर संक्रांति 2027: तारीख, शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और मकर संक्रांति पुण्य कल का समय
🪁 मकर संक्रांति 2027 🌞
15 जनवरी 2027 | शुक्रवारमकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति वह खास पर्व है जब सूर्य देव धनु से मकर राशि में प्रवेश करते हैं और उत्तरायण की शुरुआत होती है। यह त्योहार ठंड की विदाई और बसंत के आगमन का प्रतीक है। सूर्य की इस यात्रा से दिन लंबे होने लगते हैं, जो जीवन में नई ऊर्जा, उजाले और सकारात्मकता का संदेश देता है। हिंदू धर्म में इसे अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन स्नान, दान, सूर्य पूजा और तिल-गुड़ का सेवन करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
उत्सव और परंपराएं
यह सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि फसल उत्सव भी है। किसान नई फसल का आभार प्रकट करते हैं। उत्तर भारत में पतंगबाजी, गुजरात में उत्तरायण, तमिलनाडु में पोंगल, पंजाब में लोहड़ी और असम में माघ बिहू के रूप में यह उत्सव अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। घरों में खिचड़ी, तिलकुट, रेवड़ी और गुड़ की मिठाइयां बनती हैं। परिवार मिलकर खुशियां मनाते हैं, पुरानी कटुता भूलकर नए रिश्ते जोड़ते हैं।
जीवन का संदेश
मकर संक्रांति हमें सिखाती है कि जीवन में परिवर्तन स्वाभाविक है। जैसे सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर बढ़ता है, वैसे ही हमें भी नकारात्मकता छोड़कर सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। यह पर्व सूर्य की शक्ति से हमें ऊर्जा, स्वास्थ्य और सफलता का आशीर्वाद देता है। आइए इस पर्व को पूरे उत्साह से मनाएं और जीवन में नई शुरुआत करें।
🕉 शुभ मुहूर्त 2027
सुबह 7:15 से दोपहर तक
सुबह 7:15 से 9:15 तक
14 जनवरी रात 9 बजे
पौराणिक महत्व
मकर संक्रांति का अर्थ है 'मकर राशि में संक्रांति' यानी सूर्य का धनु राशि छोड़कर मकर राशि में प्रवेश। यह उत्तरायण का प्रारंभ है, जब सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि इस समय देवताओं का दिन शुरू होता है और छह महीने तक शुभ कार्य होते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य देव अपने पुत्र शनिदेव के घर जाते हैं, क्योंकि शनि मकर राशि के स्वामी हैं। यह पिता-पुत्र के मिलन का प्रतीक है, जो पारिवारिक संबंधों की मजबूती सिखाता है। भीष्म पितामह ने मकर संक्रांति के दिन ही अपने शरीर का त्याग किया था, क्योंकि उत्तरायण में मृत्यु से मोक्ष मिलता है।
पूजा विधि
1. सुबह उठकर स्नान करें, विशेषकर गंगा या किसी पवित्र नदी में।
2. सूर्य को अर्घ्य दें – तांबे के लोटे में जल, लाल चंदन, अक्षत और फूल डालकर।
3. सूर्य मंत्र का जाप करें: "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः"
4. तिल, गुड़, कंबल, अनाज, दाल-चावल का दान करें।
5. घर में खिचड़ी, तिल की मिठाइयां बनाकर प्रसाद वितरित करें।
इससे स्वास्थ्य, धन और सुख की प्राप्ति होती है।
विभिन्न राज्यों में उत्सव
गुजरात - उत्तरायण
पतंगबाजी का सबसे बड़ा उत्सव। आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है।
पंजाब - लोहड़ी
आग जलाकर मूंगफली-रेवड़ी चढ़ाई जाती है।
तमिलनाडु - पोंगल
चार दिनों का उत्सव, जिसमें गायों को सजाया जाता है।
असम - माघ बिहू
मेले, नृत्य और पारंपरिक भोजन।
महाराष्ट्र - तिल-गुड़
"तिल-गुड़ घ्या, गोडगोड बोला" कहकर मिठाई बांटी जाती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
A: 15 जनवरी 2027, शुक्रवार को।
A: यह उत्तरायण की शुरुआत है, सूर्य पूजा और फसल उत्सव का प्रतीक है।
A: नहीं, आमतौर पर 14 जनवरी, लेकिन गोचर के आधार पर कभी 15 जनवरी।
A: पुण्य काल में, खासकर ब्रह्म मुहूर्त या सूर्योदय के बाद।
A: ठंड से बचाव और स्वास्थ्य लाभ के लिए, साथ ही शुभ माना जाता है।
A: सूर्य का उत्तर दिशा में बढ़ना, छह महीने का शुभ काल।
A: तिल, गुड़, कंबल, अनाज, काले कपड़े।
A: गुजरात में उत्तरायण के उत्साह के लिए, आसमान में ऊंची पतंगें उड़ाना प्रतीकात्मक है।
A: उन्होंने मकर संक्रांति पर ही देह त्याग किया था।
A: फसल, सूर्य ऊर्जा और प्रकृति के प्रति आभार का प्रतीक है।
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